
अभी और इंतजार करना होगा बीकानेर भाजपा कार्यकारिणी के लिए
- राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश कार्यकारिणी गठन के बाद ही बनेंगे पदाधिकारी
- 50 फीसदी से ज्यादा पदाधिकारी बदलेंगे शहर व देहात में
- पदों के लिए लॉबिंग में लगे हैं दावेदार, बीकानेर, जयपुर, दिल्ली तक हो रहे प्रयास
अभिषेक आचार्य
RNE Special.
भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया में शहर व देहात में अध्यक्षों का निर्वाचन तो निर्विरोध हो गया। उसके बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का निर्वाचन भी हो गया। प्रदेश अध्यक्ष पद पर मदन राठौड़ निर्वाचित हो गये। उन्होंने भव्य आयोजन के साथ अध्यक्ष पद भी संभाल लिया और काम भी आरम्भ कर दिया।
ठीक इसी तरह शहर भाजपा अध्यक्ष के लिए सुमन जी छाजेड़ व देहात अध्यक्ष के लिए श्याम पंचारिया का निर्विरोध निर्वाचन हो गया। इन दोनों अध्यक्षों ने भी अपना पदभार संभाल पार्टी का काम भी आरम्भ कर दिया। फिलहाल दोनों ही अध्यक्षों को पहले के पदधिकारियो के सहयोग से ही संगठन का काम करना पड़ रहा है।
नये पदाधिकारी कब, बड़ा सवाल
राजनीति में हर कार्यकर्ता महत्त्वकांक्षा रखता है। उसे पद मिले, यह कोशिश वो करता है। ठीक इसी तरह जो पुराने पदाधिकारी होते हैं उनको इस बात का भरोसा नहीं होता कि वे पद पर बरकरार रहेंगे। इस सूरत में वे पार्टी का काम तो करते हैं, मगर पूरे मन से नहीं। ये कटु यथार्थ है, जो साफ दिख भी रहा है।
नये बने अध्यक्ष से हर कोई यही सवाल करता है कि कार्यकारिणी कब बनेगी, अब स्थिति ये है कि इस सवाल का जवाब तो उसके पास भी नहीं। मगर वो आश्वासन से सबको जोड़े रखने की कोशिश करता रहता है। यही काम अभी शहर व देहात भाजपा में चल रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर व देहात भाजपा कार्यकारिणी की अनुमति तो प्रदेश भाजपा देगी। जिसकी खुद की नई कार्यकारिणी नहीं बनी है। वहां भी राठौड़ को पुराने पदाधिकारियों से काम चलाना पड़ रहा है। इस सूरत में जिला कार्यकारिणी के गठन का तो सवाल ही नहीं बनता है। जबकि स्थानीय कार्यकर्ता का यही बड़ा सवाल है। इस नजरिए से देखें तो कार्यकारिणी गठन का प्रश्न यक्ष प्रश्न बन गया है।
नियम तो बन गये, उससे हिले है सब
भाजपा संगठन ने प्रदेश व जिला कार्यकारिणी के लिए गठन का काम भले ही शुरू न किया हो, नियम जरूर बना दिये हैं। इन नियमों से ही शहर व देहात भाजपा के कई वर्तमान पदाधिकारी हिले हुए हैं।
भाजपा ने संगठन के स्तर पर निर्णय किया है कि बारबार बन रहे पदाधिकारियों को इस बार बदला जायेगा। उनकी जगह नये लोगों को अवसर दिया जायेगा। ठीक इसी तरह जातीय संतुलन भी पूरी तरह से इस बार बिठाया जायेगा। तीसरी बात, पदाधिकारी की पार्टी के प्रति निष्ठा को देखा जायेगा।
पार्टी के संगठन महामंत्री बी एल संतोष ने इस बार स्पष्ट कहा था कि संगठन के मामले कार्यकर्ता की निष्ठा को ही प्राथमिकता मिलेगी, किसी सीएम, मंत्री या अन्य बड़े नेता की सिफारिश को नहीं माना जायेगा। इस घोषणा से भी बारबार पद पाने वाले हिले हुए हैं।
मोटे तौर पर पार्टी संगठन का यह निर्णय है कि इस बार 50 फीसदी से अधिक पदाधिकारी तो बदले ही जायेंगे। ये बात कईयों को हिलाकर रखे हुए हैं। क्योंकि नये लोग आएंगे तो वे ही पदाधिकारी हटेंगे जो एक बार से अधिक, लगातार पद पाए हुए हैं। इससे विचलन ज्यादा है।
लॉबिंग की कोशिश फिर भी
भाजपा में संगठन के मामले में थोड़ी सख्ती रहती है मगर फिर भी पद पाने के लिए कार्यकर्ता, नेता लॉबिंग अवश्य करते है। वो इस बार भी चल रही है। स्थानीय बड़े नेताओं के अलावा जयपुर, दिल्ली तक भी लॉबिंग करने का काम चल रहा है।
आखिर कार्यकारिणी कब ?
पहलगाम हमले के बाद भाजपा की प्राथमिकताएं बदली है। इस वजह से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टला है। जाहिर है वो चुनाव नहीं होता तब तक प्रदेश कार्यकारिणी नहीं बनेगी। ये नहीं बनेगी तब तक जिला कार्यकारिणी कैसे बने, सम्भव नहीं लगता।